कृष्णा जी के भजन

। कृष्णा जी के भजन।

तर्ज -कभी बन्धन जुड़ा लिया कभी दामन जुड़ा लिया

कभी माखन चुरा लिया कभी पर्वत उठा लिया
ओ लल्ला रे……।
ये क्या गज़ब किया मेरे कान्हा।।
मुझको डरा दिया मेरे कान्हा मुझको डरा दिया।
मेरे कान्हा ये बताना।।
ओ लल्ला रे…..।

कभी मुझको शक होता तू मेरा लाल नहीं है।
आ……।
है कोई अवतारी तो यह मेरी बात सही है।
इंद्र से रक्षा की खातिर तुमने पर्वत उठा लिया।
मेरे कान्हा ये बताना।।
ओ लल्ला रे…।

कभी तुम चीर चुराए कभी बंसी पर नचाए।
तेरी लीला ना समझी मैं तो क्या-क्या रूप दिखाएं।।
मेरे कान्हा यह बताना।।
ओ लल्ला रे…।

कन्हैया बोले हंस के मां तेरा लाल ही हु।
आया दुष्टों को मिटाने लेके अवतार हु।।
बात जब पवन बताइए सुनके मां गले लगाए
मेरे कान्हा यह बताना।।
ओ लाला रे…।

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